'क्या करोगे नहीं पढ़ोगे तो? रिक्शा चलाओगे? फेल होके स्कूल से नाम कट जाएगा, फिर बैठे रहना चरवाहा विद्यालय में।'
हम डर गए, पढ़ लिए।
अब कोई और चलाता है रिक्शा, कोई और बैठे रहता है चरवाहा विद्यालय में।
हिंदी समय में अंकिता आनंद की रचनाएँ